After Madhushala, Jo Beet Gayi So Baat Gayi , Koshish (Karne Wale Hi Haar Nahin Hoti), I am now hooked onto Agneepth.
Here goes ...
वृक्ष हो भले खड़े,copied from Sreeyesh's blog
हो घने, हो बड़े,
एक पत्र-छाह भी,
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु, श्वेत, रक्त से,
लथपथ, लथपथ, लथपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।
And here is a comprehensive list of work by Harivansh Rai Bahchchan.
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